Hartal Teej 2023: कब है हरताल या हरतालिका तीज ? सम्पूर्ण जानकारी

सिंघई रचित जैन

Updated on:

Hartal teej 2023
Spread the love
Hartal Teej 2023
(Image Source: Wikimedia commons)

Hartal Teej 2023 Date: यह सौंदर्य और प्रेम का पर्व है, जो सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। महिलाएं पूरे वर्ष इस दिन इंतजार करती हैं। हरताल तीज या हरियाली तीज या हरतालिका तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में यह उत्सव मनाया जाता है। प्रकृति से जुड़ने का अवसर है। जब हरियाली तीज आता है, तो हर जगह हरियाली होती है। पेड़-पौधे हरे भरे होने लगते हैं।

हरताल तीज या हरतालिका तीज 2023 तिथि(Hartal Teej 2023 Date)

19 अगस्त को हरताल तीज या हरियाली तीज मनाई जाएगी, क्योंकि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त शुक्रवार रात 8:01 मिनट से शुरू होगी और 19 अगस्त शनिवार रात 10:19 मिनट पर समाप्त होगी। हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का पर्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन देवी ने 107 बार शिव की तपस्या में जन्म लेने के बाद पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस व्रत को रखने से स्त्री के पति को लंबी उम्र मिलती है। महिलाओं का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी इन व्रतों से सुधरता है। साथ ही व्रत मानसिक विकारों को दूर करता है।

Hartal Teej 2023

हरतालिका तीज पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2023(Hartal Teej 2023 Date)

इस दिन हरतालिका तीज की पूजा करने के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं।सुबह 06:07 बजे से 08:34 बजे पहला मुहूर्त है। तथा सुबह 09:11 से 10:43 तक दूसरा मुहूर्त चलेगा। तीसरा मुहूर्त फिर दोपहर 03:19 शाम 07:51 तक चलेगा। आप इन तीनों समय में पूजा कर सकते हैं।

Hartal Teej 2023

पूजा सामग्री(Hartal Teej 2023)

हरतालिका तीज पूजा करने से पहले माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की मिट्टी से बनी मूर्ति की आवश्यकता होती है। इसके अलावा पीला कपड़ा, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दूर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही शहद और 16 श्रृंगार के सामान, जैसे सिंदूर, बिंदिया, मेंहदी, कुमकुम, आदि।

पूजन विधि(Hartal Teej 2023)

हरतालिका तीज व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर शुभ मुहूर्त के समय हाथ में जल लेकर व्रत की घोषणा करके पूजा करें। इस दिन माता पार्वती और शिव के पुत्र गणेश भी पूजे जाते हैं।
मिट्टी से माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद एक चौकी पर रखें। माता पार्वती को धूपदीप, अक्षत, चुनरी, फूल, फल आदि दें। वहीं भगवान शिव को सफेद चंदन, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा और फूल अर्पित करें।
भगवान शिव को पूजते समय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें। उसके बाद शिव और पार्वती ने गणेश को भोग लगाया। ॐ उमायै नम: मंत्र का जाप करें जब मां पार्वती को पूजते हैं। कुंवारी कन्याएं इसके बाद एक अच्छे वर की कामना करें।

Disclaimer: यद्यपि, उपरोक्त सम्पूर्ण जानकारी पंचांग के अनुसार ही दी गई है। लेकिन फिर भी आप अपने बुजुर्गों से अथवा गांव शहर के पंडित जी से पूछ लेवें।(Hartal Teej 2023)

NOTE:

खबर मालवा एक छोटा सा प्रयास है , आप तक मालवा क्षेत्र की महत्वपूर्ण सूचनाऐं पहुँचाने का , इसमें आपका योगदान भी अपेक्षित है। आप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसे शेयर करके हमारी सहायता कर सकते है।
धन्यवाद
टीम खबर मालवा

Author

Leave a Comment