क्या वाकई मोदी सरकार लेगी बड़ा फैसला?18 को ‘One Nation One Election’ पर आखिरकार होगी चर्चा!

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 18 सितम्बर से 22 सितम्बर तक पांच दिनों के लिए राजयसभा व लोकसभा का स्पेशल सेशन(विशेष सत्र)(Special session of Parliament) बुलाया है।
One Nation One Election

One Nation One Election: केंद्र सरकार ने 18 सितम्बर से 22 सितम्बर तक राज्यसभा और लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया है। और हर कोई अटकलें लगा रहा है कि , विशेष सत्र बुलाकर केंद्र सरकार क्या करना चाहती है।
हम इस लेख में उन्ही में से कुछ बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।

क्या होता है स्पेशल सेशन या विशेष सत्र (Special session of Parliament)?

वैसे तो भारतीय संसद में तीन सत्र होते हैं , पहला सत्र होता है बजट सत्र यह सत्र जनवरी अंत में या फरवरी से शुरू होता है , तथा मई में समाप्त होता है। यह सत्र सबसे लम्बा सत्र भी होता है।

दूसरा सत्र मानसून सत्र होता है , जो जुलाई से शुरू होता है , व अगस्त में समाप्त हो जाता है। तीसरा सत्र शीतकालीन सत्र होता है , जो नवम्बर में बुलाया जाता है , व दिसंबर तक समाप्त हो जाता है।

चूँकि सत्र को बुलाने कि शक्ति सरकार के पास होती है , तो वह किसी आपात स्थिति या किसी महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिए विशेष सत्र का आयोजन भी कर सकती है।

पाँच दिनों का विशेष सत्र

इस वर्ष सितम्बर में केंद्र सरकार ने 18 से 22 तारीख तक लोकसभा व राज्यसभा का विशेष सत्र(Special session of Parliament) बुलाया है। तो राजनीतिक विश्लेषक कयास लगाने में लगे हुए हैं , कि सरकार किस विषय पर यह सत्र आयोजित कर रही है।हालाँकि मोदी सरकार के पूर्व के निर्णयों को देखते हुए किसी भी राजनीतिक विश्लेषक के लिए ये कयास लगाना कठिन होता है।

जिस प्रकार मोदी सरकार ने धारा 370 के समय या नोटबंदी के समय जो निर्णय जिस गुप्त तरीके से लिए, उससे किसी भी निर्णय या विषय का अंदाज़ा लगान कठिन होता है।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु जिन पर राजनीतिक विश्लेषक कयास लगा रहें है।

  • वन नेशन वन इलेक्शन: जिस विषय कि सबसे ज्यादा संभावना लग रही है, वह है “वन नेशन वन इलेक्शन(One Nation One Election)” यानि कि “एक देश एक चुनाव” इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई अवसरों पर बोल भी चुके है। राजनीतिक विशेषज्ञों कि मानें तो इस बात कि प्रबल संभावना है कि मोदी सरकार इस विषय पर बिल लाकर चर्चा कर सकती है।
  • यूनिफार्म सिविल कोड(समान नागरिक सहिंता): दूसरा जो सबसे प्रबल मुद्दा माना जा रहा है , वह है यूनिफार्म सिविल कोड। कुछ लोगों का मानना है , कि यह विशेष सत्र UCC के लिए भी बुलाया जा सकता है। कुछ लोग कह रहें हैं कि UCC का मुद्दा लाकर मोदी सरकार इसका लाभ आने वाले लोकसभा चुनाव में लेगी।
  • जम्मू & कश्मीर : कुछ लोग मान रहें है कि यह सेशन जम्मू और कश्मीर के लिए हो सकता हैं। हालाँकि इसकी सम्भावना काम ही नजर आती हैं। क्योकि यह चर्चा शीतकालीन सत्र में भी की जा सकती है।
  • वक्फ एक्ट: कुछ लोगों का मानना है, कि सरकार वक्फ एक्ट में भी संशोधन कर सकती है। चूँकि कुछ दिन पहले ही दिल्ली में वक्फ बोर्ड को नोटिस दिया गया है कि आप 123 प्रॉपर्टी जो वक्फ के पास है उसके डाक्यूमेंट्स दिखाइए या ये सारी प्रॉपर्टी सरकार को वापस कीजिए। गौरतलब है कि मनमोहन सरकार ने 2014 में ये सारी प्रॉपर्टी वक्फ को सौप दी थी।
  • लोकसभा चुनाव जल्दी करवाना : कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है की सरकार इस विशेष सत्र के माध्यम से लोकसभा चुनावों को इसी साल दिसंबर 2023 में करवा सकती है। जो अगले साल 2024 के मध्य में होने हैं।

क्या है “One Nation One Election” या “एक देश एक चुनाव”?

हमारे भारत देश में 28 राज्य है और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं , सभी राज्यों में चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे भारत में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते ही रहते हैं। इससे सरकार व देश का काफी पैसा खर्च होता है।
“वन नेशन वन इलेक्शन”(One Nation One Election) के तहत मोदी सरकार चाहती है कि सारे राज्यों व केंद्र सरकार के चुनाव एक साथ हो जाए , जिससे कि सरकार व भारत को बहुत फायदा होगा।

“वन नेशन वन इलेक्शन(One Nation One Election)” के फायदे।

  • इसके बार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बड़े अवसरों पर बात कर चुकें हैं। हमारे देश में कई राज्य हैं। और इन राज्यों में चुनाव होने से देश का काफी पैसा लगता है। जैसे कि सेना के जवानों को हर उस राज्य में भेजा जाता है , जहाँ चुनाव होते हैं। उनके जाने से लेकर भोजन इत्यादि कि व्यवस्था होती है। एक बार चुनाव होने से इस खर्च में कमी आएगी।
  • जब चुनाव होते है, तब जो भी विकास कार्य हो रहे होते हैं , जैसे कि सड़क निर्माण , हॉस्पिटल का निर्माण इत्यादि रुक जाते हैं। जिससे इनका बजट बढ़ जाता है। पांच साल में एक बार चुनाव होने से सभी कार्य समय पर पूर्ण हो पाएँगे , व बजट भी नहीं बढ़ेगा।
  • चूँकि हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते हैं तो जो केंद्र सरकार है वो जो भी पॉलिसी लम्बे समय के लिए बनाती है , उसका सही से क्रियान्वयन नहीं करवा पाती है। हर राज्य के हिसाब से चुनाव के कारण पॉलिसी में बदलाव होता रहता हैं। जिससे पॉलिसी का मूल उद्देश्य व क्रियान्वयन प्रभावित होता है। वन नेशन वन इलेक्शन की वजह से पॉलिसी का क्रियान्वयन सही तरीके से होगा।
  • चुनाव तैयारियों के लिए ज्यादा समय मिलेगा: पाँच साल में एक बार चुनाव होने से राजनितिक दलों , चुनाव आयोग , अर्धसैनिक बलों , और नागरिकों के पास पर्याप्त समय होगा चुनाव कि तैयारियों के लिए।

“वन नेशन वन इलेक्शन(One Nation One Election)”: चुनौतियाँ

  • भारतीय संसद व्यवस्था : भारतीय संसद में सरकार लोकसभा के सदस्यों से बनती है। और अगर किसी कारण से सरकार गिर जाती है, तो फिर से चुनाव करने होंगे, तथा फिर उसका समकालीन करण करना होगा। हालाँकि यह कोई बड़ी चुनौती नहीं हैं क्योकि अगर वन नेशन वन इलेक्शन(One Nation One Election) व्यवस्था नहीं भी होती है। तो भी यह समस्या तो रहेगी ही।
  • विपक्षी दल: सबसे बड़ी चुनौती होगी कि सारे विपक्षी दलों को इस पर एकमत करना। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह और भी कठिन होगा जहाँ विपक्षी दलों का सिर्फ एक ही उद्देश्य है , कि सरकार कि नीतियों का विरोध करना, फिर चाहे वो देश के बेहतर भविष्य के लिए ही क्यों न हों।
  • EVM मशीन: यह एक समस्या हो सकती हैं , कि सरकार को और EVM मशीनों कि व्यवस्था करनी होगी।
  • सुरक्षा व्यवस्था: पुरे देश में एक साथ चुनाव होने से सुरक्षा व्यवस्था के लिए फाॅर्स का इंतजाम करना कठिन हो सकता है।

क्या समस्या हैं विपक्ष को ?

विपक्षी दलों को उपरोक्त चुनौतियों के अलावा यह अंदेशा हैं कि अगर सारे देश में एक साथ चुनाव होंगे तो कहीं “मोदी लहर” का असर केंद्र के साथ साथ राज्यों के चुनाव पर ना हो जाए।

लेकिन हमारे अनुसार यह एक गलत अंदेशा है , क्योंकि उड़ीसा के विधानसभा चुनाव और लोकसभा के चुनाव एक साथ ही होते हैं , पिछले चुनावों का परिणाम देखें तो लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया वहीं विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल ने सरकार बनाई।

वहीं पिछले विधानसभा चुनावों कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाई थी। तथा कुछ ही समय बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस राजस्थान से एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी वहीं मध्यप्रदेश से केवल एक ही लोकसभा सीट जीत पाई थी।

वहीं दिल्ली कि बात करें तो लोकसभा में दिल्ली कि सातों लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी ने जीती थी। तथा कुछ ही समय बाद हुए विधानसभा के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी।

निष्कर्ष

अगर “वन नेशन वन इलेक्शन(One Nation One Election)” पर आने वाले विशेष सत्र में चर्चा होती है , और अगर इसका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन होता है। तो यह देश के लिए बहुत ही लाभकारी होगा। तथा यह मोदी सरकार की बहुत ही बड़ी उपलब्धि होगी।

जिस प्रकार से मोदी सरकार ने स्वच्छता अभियान को चलाकर तथा डिजिटलाइजेशन करके देश के विकास के लिए बहुत ही अच्छे कार्य किये हैं। यह कार्य भी उसी स्तर का हो सकता है।

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