Baba Baijnath: 18 करोड़ 90 लाख रुपए की लागत से संवारा जाएगा मध्यप्रदेश का रत्न: बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर

सिंघई रचित जैन

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बाबा बैजनाथ
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Baba Baijnath: मध्यप्रदेश के आगर जिले में स्थित बाबा बैजनाथ शिव मंदिर वह स्थान है जहां का एक अनोखा इतिहास है। यहां पर एक अंग्रेज कर्नल ने अपनी पत्नी के शिव भक्ति से प्रेरित होकर इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। देशभर में कई शिवालय और शिव मंदिर हो सकते हैं, लेकिन यह बाबा बैजनाथ शिव मंदिर एकलौता है जिसके इतिहास में यह अनूठा अध्याय है।

आगर मालवा: नगर के राजा बाबा बैजनाथ महादेव के मंदिर को अब उज्जैन के महाकाल लोक की तरह संवारा जाएगा। आने वाले समय में मंदिर में करीब 18 करोड़ 90 लाख रुपए की लागत से विभिन्न विकास कार्य देखने को मिलेंगे। एमपी हाउसिंग बोर्ड ने तैयार किए प्रस्ताव को स्वीकृति प्राप्त करने के बाद, निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद शिघ्र ही विकास कार्य यहां पर आरंभ होंगे। इस स्वीकृति की जानकारी के साथ बाबा बैजनाथ के भक्तों में भारी उत्साह देखा जा रहा है।

बाबा बैजनाथ धाम का इतिहास अद्भुत है।

जिले में स्थित यह अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर है, बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर, पराधीनता के समय एक अंग्रेज कर्नल ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था । बाबा बैजनाथ के प्रसिद्ध मंदिर से कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। इस मंदिर के संबंध में एक रोचक दावा है, जिसमें भगवान स्वयं अपने अभिभाषक भक्त के रूप में कोर्ट में पहुंचे और जीरह करके कैस जीत गए। इस प्रसिद्ध मंदिर में बहुत सारे दर्शनार्थी आते हैं। सावन मास के दौरान यहां दर्शन करने से विशेष लाभ होता है, इस कारण से सावन मास में हजारों लोग मंदिर दर्शन करने के लिए आते हैं ।

महादेव भक्त के लिए पैरवी करने पहुंचे थे।

महादेव के भक्त और आगर-मालवा निवासी, स्वर्गीय जयनारायण बापजी वकील साहब के एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, वे नियमित रूप से महादेव के दर्शन के लिए बाबा बैजनाथ मंदिर जाते थे और ध्यान करते थे।

एक दिन, वे ध्यान में इतने मग्न हो गए कि अपने पक्षकार की पैरवी के लिए न्यायालय में समय पर नहीं पहुंच पाए। ध्यान भंग होने के बाद जब वे न्यायालय पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वे अपने पक्षकार की पैरवी कर चुके हैं और मुकदमा जीत गए हैं। उन्होंने इस केस की डायरी को आज भी संभाली हुई है।

कहा जाता है कि जहां यह डायरी रखी गई थी, उस घर में आग लग गई थी और पूरे घर का सामान जल गया, लेकिन उस अलमारी में यह डायरी जलने से बची जिसमें वे उसे संभाल कर रखते थे।

कर्नल मार्टिन ने करवाया था बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार।

बैजनाथ महादेव मंदिर से कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें से एक घटना सन 1879 को जुड़ी है, जब भारत में ब्रिटिश शासन था। उस समय, अफगानिस्तान पर अंग्रेजों का आक्रमण हुआ था और आगर की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को युद्ध का संचालन सौंपा गया था।

वे युद्ध के दौरान अपनी पत्नी को नियमित रूप से समाचार भेजते थे, लेकिन एक दिन संदेश आना बंद हो गया। तब उनकी पत्नी चिंतित होने लगी और पंडितों की सलाह पर उन्होंने 11 दिन का लघुरूद्री अनुष्ठान आरंभ किया और प्रतिदिन भगवान शिव से पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी।

इस अनुष्ठान के दिन एक संदेशवाहक मंदिर में आया और उन्हें एक पत्र दिया, जिसमें उनके पति ने लिखा था कि ” हम युद्धरत थे और तुम तक संदेश भेजते रहे, लेकिन अचानक हमें चारों ओर से पठानी सेना ने घेर लिया था। ब्रिटिश सेना कट मरती और मैं भी मर जाता। इसी कठिन परिस्थिति में हम घिर गए थे, और प्राण बचाना भी अत्यधिक कठिन था।

इतने में सहसा मैंने देखा कि भारत में एक योगी था, जिसकी बड़ी लम्बी जटाएं थीं, हाथ में तीन नोंक वाला एक हथियार (त्रिशूल) था। वह बड़े तेजस्वी और बलवान पुरूष था, जो अपना त्रिशूल घुमा रहा था। उसका त्रिशूल इतनी तेज गति से घूम रहा था कि पठान सैनिक उसे देखकर ही भागने लगे।

उस योगी की कृपा से हम उस घेरे से निकलकर पठानों पर वार करने का मौका प्राप्त करने लगे, और हमारी हार की घड़ियाँ एक-एक जीत में बदल गईं। इस सब का संभव होना भारत के उस वाघ बरधारी और त्रिशूलधारी योगी के कारण था।

उनके महातेजस्वी व्यक्तित्व के प्रभाव से हम ने देखा कि अफगानिस्तान की पठानी सेना भाग खड़ी हो गई, और वे परम योगी मुझे हिम्मत देते हुए कह रहे थे ‘ घबराओ नहीं। मैं भगवान शिव हूँ, और तुम्हारी पत्नी की शिव पूजा से प्रसन्न होकर मैं तुम्हारी रक्षा के लिए आया हूँ।’

उन्होंने अपनी पत्नी की इच्छा पर सन 1883 में बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी मंदिर में दृश्यमान है। यह एकमात्र हिन्दू मंदिर है, जो ब्रिटिश शासन के दौरान निर्मित हुआ था।

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